उड़न तस्तरी जी ने खुलसा करने को कहा है। उन सवालों के बारे में जो मैंने चौखंबा पर आप सभी से पूछे थे। वो सवाल हैं -
१) क्या किसी छात्रा (आरुषि) की हत्या दिलचस्प हो सकती है?
२) क्या उस हत्या की मंशा दिलचस्प हो सकती है?
३) क्या उस हत्या पर बहस दिलचस्प हो सकती है?
उड़न तस्तरी जी मैं थोड़ा खुलासा करता हूं। दरअसल मैंने एक टीवी चैनल पर दो दिग्गज पत्रकारों को सीबीआई के पूर्व निदेशक से बात करते सुना और देखा। वो दोनों दिग्गज पत्रकार चटखारे लेकर आरुषि हत्याकांड पर बात कर रहे थे। उसमें कई बार उन दोनों दिग्गज पत्रकारों ने मजेदार और दिलचस्प शब्दों का इस्तेमाल किया। मुस्कुराते हुए। हाथ मलते हुए। मैं इस समय क़त्ल और क़ातिल कितने तरह के होते हैं और किस मानसिकता में पहुंच कर कोई शख़्स क़ातिल बनता है – इन विषयों पर एक राय बनाने की कोशिश कर रहा हूं। उसी सिलसिले में मैंने आपसे सभी से ये चंद सवाल किये हैं। अगर हो सके तो अपनी राय दें। आपकी राय मुझे किसी नतीजे पर पहुंचने में मदद करेगी।
धन्यवाद।
Saturday, June 14, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
छात्रा क्या .... किसी की भी हत्या की ख़बर दिलचस्प नही हो सकती... कभी नही...
किसी का क़त्ल चाहे क़त्ल होने वाला इंसान कितना ही बुरा क्यों न हो,दूसरे इंसान को सिर्फ़ वहशत देता है,जिंदगी से एतबार उठने लगता है,तो फिर एक मासूम सी लड़की का क़त्ल किसी को दिलचस्प कैसे लग सकता है,लेकिन जो लोग ऐसा महसूस करते हैं ,वो इंसान कहलाने के हक़दार नही हैं.
हत्या सिर्फ़ निश्रंश ही हो सकती है पर आजकल टी.वी.वाले हत्या को एक नए ही रूप मे पेश करने लगे है।
वैसे ये पक्का तो नही पर शायद कुछ पत्रकारों जो की जासूस बने थे उनकी चैनल से छुट्टी हो गई है । ये उड़ती-उड़ती सी ख़बर है।
सत्य है-जानने की उत्सुक्ता मात्र थी मगर इस तरह की कोई भी खबर दिलचस्प तो कतई नहीं हो सकती.
Post a Comment