हुजूर, मेहरबान, कदरदान!
मैं शब्दों का कारोबारी हूं,
मेरे पास हर तरह के शब्द हैं.
पैसे दीजिये,
जरूरत के शब्द ले जाइये.
अगर आपने किसी का क़त्ल किया है,
मगर क़ातिल कहलाने से बचना चाहते हैं,
तो मेरे पास आइये,
मैं क़त्ल को हादसा बता दूंगा.
यकीन मानिये,
शब्दों में बड़ी ताकत होती है,
सारा खेल शब्दों का है,
शब्दों से ही दुनिया चलती है.
मेरी और आपकी बिसात क्या,
शब्द बदलने पर देशों की तकदीर बदल जाती है.
मैं उन्हीं शब्दों को कारोबार करता हूं,
झूठ को सच बनाने के फन में माहिर हूं.
बस आप पैसे फेंकिये,
मुझसे अपनी जरूरत के शब्द,
और अपनी नई तकदीर ले जाइये।
Saturday, June 21, 2008
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1 comment:
अमा!! क्यों कोसोमोपोलिटन बनाने में लगे हुए हैं. "जादू-टोना" नही सीखना है मुझे
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